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Munshi Pramchand Quotes

Munshi Pramchand Quotes

 “दुःखी हृदय दुखती हुई आंख है, जिसमें हवा से भी पीड़ा होती है।”

प्रेमचंद जमीन से जुड़े हुए कथाकार और उपन्यासकार थेऔर उनका बचपन काफी संघर्षों भरा था, जो उनकी रचनाओं में भी दिखता है। उन्हें ग्राम्य जीवन की बहुत अनोखी परख थी। उनका सम्‍पूर्ण साहित्य दलित, दमित, स्त्री, किसान और समाज में हाशिये पर जी रहे लोगों की लड़ाई का साहित्य है, जिसमें समता, न्याय, चेतना और सामाजिक परिवर्तन की घोषणा है। आम जन की आसान और प्रचलित भाषा उनके लेखन की सबसे बड़ी खासियत थी, इसलिए तो इन्हें कलम का सिपाही भी कहा जाता है।

"नौकरी में ओहदे की ओर ध्यान मत दो, यह तो पीर की मजार है। निगाह चढ़ावें और चादर पर रखनी चाहिए।।"

"देह के भीतर आत्मा इसलिए रखी गई है कि देह उसकी रक्षा करे इसलिए नहीं कि उसका सर्वनाश कर दे।।"

"क्रोध अत्यंत कठोर कठोर होता है वह देखना चाहता है कि मेरा एक वाक्य निशाने पर बैठता है या नहीं, वह मौन को सहन नहीं कर सकता |"


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